मिर्च-मसालों का प्रयोग कम कर

मिर्च-मसालों का प्रयोग कम करें।

कुछ लोग स्वभाव से गुस्सैल होते हैं ! ऐसे व्यक्तियों का अक्सर खुद पर कण्ट्रोल नहीं रहता ! ऐसे व्यक्तियों को जब भी किसी बात पर गुस्सा आता है, उनकी सोचने-समझने की शक्ति भी क्षीण हो जाती है ! क्रोध की दशा में ऐसे व्यक्ति कभी भी अपने आपको अथवा किसी दूसरे को चोट पहुंचा सकते हैं !
ऐसे लोगों को मिर्च- मसालों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए !
बाबू लाल का गुस्सा बहुत तेज था ! जब भी उसे गुस्सा आता - सामने जो भी आता, उसे ही पीट देता ! चटपटा खाने का भी वह बहुत शौक़ीन था ! उसके फैमिली डॉक्टर देवेन्द्र सिंह ने बहुत बार उसे समझाया - तू हाई ब्लड प्रेशर का मरीज है, नमक मिर्च-मसाले कम खाया कर ! और बाजार की चाट-पकौड़ी तो बिल्कुल मत खाया कर !
पर बाबू लाल डॉक्टर की बात को हँसी में उड़ा देता था !
खुद एक चाऊमीन, बर्गर,कचौड़ी-समोसे की दुकान चलाता था ! कहावत है - हलवाई खुद अपनी मिठाई नहीं खाता, लेकिन बाबू लाल के मामले में यह कहावत अपवाद थी !
शादी को दो ही साल हुए थे ! एक साल की एक बेटी थी !
शादी के दो महीने बाद ही माँ-बाप से अलग, पास ही में किराये पर फ्लैट लेकर रहने लगा था ! उसकी पत्नी रेखा बहुत सुन्दर और सुशील स्वभाव की थी ! उसने बहुत कहा कि हम अलग नहीं रहेंगे ! हम मम्मी-पापा (सास-ससुर) के साथ ही रहेंगे ! लेकिन बाबू लाल ने एक नहीं सुनी ! एक तो उसे पीने की बुरी आदत थी और रात को हमेशा देर से घर आता था ! उसके रात को देर से घर आने पर उसकी माँ हमेशा कोहराम मचाती थी, इसलिए शादी के तुरन्त बाद जल्दी ही वह अलग हो गया !
बाबू लाल की पत्नी रेखा बहुत अच्छा खाना बनाती थी ! पर बाबूलाल पत्नी का बनाया खाना खाये, ऐसी नौबत बहुत कम आती थी !
उस रात भी ऐसा हुआ था ! तेज मिर्च वाली चटनी के साथ भूख से ज्यादा समोसे-कचौड़ी पेट में उतार कर रात के बारह बजे बाबू लाल घर लौटा ! रेखा की तबियत उस दिन खराब थी ! फिर भी पति के इन्तज़ार में देर तक जागती रही, पर बाबू लाल के आने से कुछ ही क्षण पहले उसकी आँख लग गयी ! कॉल बेल की आवाज़ से उसकी आँख नहीं खुली तो बाबू लाल ने दरवाज़ा पीटना शुरू कर दिया !
आखिर रेखा ने दरवाज़ा खोला ! दरवाज़ा खुलते ही बाबूलाल ने रेखा को पाँच-दस गन्दी-गन्दी गालियाँ सुनाईं ! फिर हाय-हाय करता हुआ अन्दर दाखिल हुआ !
"क्या हुआ ?" रेखा ने पूछा !
बाबूलाल ने जवाब देने की जगह उलटा हाथ रसीद कर दिया और पलंग पर लुढ़क कर हाय-हाय करने लगा !
रेखा ने अपने पति की ऐसी हालत कभी पहले नहीं देखी थी !
उसने घबरा कर सासू माँ को फ़ोन कर दिया ! सास-ससुर का घर ज्यादा दूर नहीं था ! थोड़ी ही देर में बूढ़े माँ-बाप भागे-भागे आये !
बाबूलाल की माँ समझदार भी थीं और तज़ुर्बेकार भी ! देखते ही समझ गयीं की माज़रा क्या है ! उन्होंने रेखा से पूछा - "बेटी, इसे खाने में क्या दिया था तूने ?"
"मम्मी ! घर पर तो इन्होंने कुछ भी नहीं खाया ? बाहर से ही खा-पी के आये हैं !" रेखा ने कहा !
"जरूर कुछ उलटा-सीधा खाकर आया होगा !" सासु माँ बोलीं - "छाती में जलन हो रही होगी ! यह हमेशा से ऐसा ही है !
पहले शराब पीकर, मिर्च-मसालेदार तली हुई चीज़ें खाकर घर आएगा, फिर हाय-हाय करेगा ! ऐसा कर रेखा बेटे ! तू तेज़ मीठे का एक गिलास ठण्डा दूध ले आ ! दूध पीकर थोड़ा आराम आ जाएगा !"
रेखा दूध तैयार करने किचेन में चली गयी ! तब बाबूलाल की माँ ने बाबूलाल पर क्रोध दिखाया -"क्या खा-पी आया नासपीटे ! बहू की नन्हीं सी जान को हलकान कर दिया !"
बाबूलाल गुस्से से लाल-पीला हो उठा -"तुम्हें बहू की पड़ी है और यहाँ मेरी जान निकली जा रही है !"
"तेरी जान तो हमेशा ऐसे ही निकलती रहती है !" माँ गुस्से में भुनभुनाई !
"अरे मैं मरा जा रहा हूँ ! कोई डॉक्टर को बुला दो !" बाबूलाल चिल्लाया !
"बेटा, इस समय डॉक्टर कहाँ मिलेगा ? थोड़ी तसल्ली रख ! मसालेदार चीज़ें खाने से जलन हो रही होगी और ऊपर से गैस चढ़ गयी होगी ! थोड़ी देर में आराम आ जाएगा !" बाबूलाल के पिता ने उसे समझाया !
एक तो छाती और गले में जलन से बाबूलाल परेशान था, दूसरे शराब भी जमकर पी हुई थी ! एकदम बिदक गया -"अरे मेरी जान जा रही है और तुम उपदेश झाड़ रहे हो ! जाओ, जाकर कहीं से डॉक्टर ले के आओ !"
बाबूलाल के पिता पलटकर जाने लगे तो उसकी माँ ने रोक दिया- "कहाँ जा रहे हो ! कुछ नहीं होगा इसे !"
"अरे मेरे तो माँ-बाप ही मेरे दुश्मन हैं ! हे भगवान, उठा ले मुझे !" और नशे की झोंक में बाबूलाल ने दीवार में सिर दे मारा !
कोई बात नहीं थी ! कोई झगड़ा नहीं था ! कोई वजह नहीं थी ! लेकिन बाबूलाल ने जो हरकत की, वह इतनी अप्रत्याशित थी कि उसके माँ-बाप हक्का-बक्का रह गए !
रेखा दूध तैयार करके लौटी ही थी कि उसकी चीख निकल गयी !
दीवार खून से लाल हो गयी थी और बाबूलाल एक और लुढ़क गया था !
फिर एकदम सारे घर में कोहराम मच गया ! बाबूलाल के पिता ने पड़ोसियों के द्वार खटखटाये ! पड़ोस में काफी भले लोग थे !
एक पड़ोसी ने कार निकाली ! बहुत जल्दी ही उसे लेकर अस्पताल पहुँचे ! किन्तु बाबूलाल ने गुस्से में इतनी जोर से दीवार में सिर मारा था कि डॉक्टर्स भी कुछ न कर सके ! अस्पताल पहुँचने से पहले ही वह दम तोड़ चुका था !
होश में होता तो बाबूलाल कभी ऐसी हरकत न करता ! पर एक तो गुस्सैल स्वभाव, दूसरे नशे की अधिकता, तीसरे मिर्च-मसालेदार चटपटी चीज़ें खाने से सीने में होने वाली जलन ने उसका दिमाग खराब कर दिया था !
जिन्हें गुस्सा अधिक आता हो, उन्हें हमेशा अपने खान-पान पर कण्ट्रोल रखना चाहिए !
जिन्दगी बहुत कीमती होती है ! आपकी ज़िन्दगी से, बहुत सी ज़िन्दगी जुड़ी होती हैं !
बेचारी रेखा और उसकी साल भर की बच्ची का क्या कसूर था, जो एक के सिर से पति और दूसरी के सिर से पिता का साया उठ गया !

दुनिया में अधिकांश लोग ऐसे होते हैं - जो खाने के लिए जीते हैं ! नई-नई चीज़ खाने में अव्वल रहते हैं ! लौकी-तोरी-पालक-मेथी जैसी हरी सब्जियां खाने में भी नाक-भौंह सिकोड़ते हैं ! लेकिन जरूरी है - जीने के लिए खाया जाए ! ऐसा खाना खाया जाए, जो शरीर को लगे, पचे और आप तन्दुरूस्त रहें !

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